लोग अपनी मंज़िल पाने में पैरों के तले कोमल फूलों को कुचल देते है!
यह धरती आपकी पापा पगली का भार झेलने "माँ " बनकर आई है ll
क्यूँ इनको कुचलते हो नीचे देखे बिना ऑंखें होते हुए भी देखकर नहीं चलते !!
हम आपके पैरों की ज़मीं है!चाहे जूते पहनके चलो दर्द आपको नही,हमें होता है ll
- वात्सल्य