🌹 *हे राम दुबारा मत आना अब यहाँ लखन हनुमान नही* 🌹।।

सौ करोड़ इन मुर्दों में
अब बची किसी में जान नहीं।।

भाईचारे के चक्कर में,
बहनों कि इज्जत का भान नहीं।।

इतिहास थक गया रो-रोकर,
अब भगवा का अभिमान नहीं।।

याद इन्हें बस अकबर है,
उस राणा का बलिदान नही।।

हल्दीघाटी सुनसान हुई,
अब चेतक का तूफान नही।।

हिन्दू भी होने लगे दफन,
अब जलने को शमसान नहीं।।

विदेशी धरम ही सबकुछ है,
सनातन का सम्मान नही।।

हिन्दू बँट गया जातियों में,
अब होगा यूँ कल्याण नहीं।।

सुअरों और भेड़ियों की,
आबादी का अनुमान नहीं।।

खतरे में हैं सिंह सावक,
इसका उनको कुछ ध्यान नहीं।।

चहुँ ओर सनातन लज्जित है,
कुछ मिलता है परिणाम नहीं।।

वीर शिवा की कूटनीति,
और राणा का अभिमान नही।।

जो चुना दिया दीवारों में,
गुरु पुत्रों का सम्मान नही।।

हे राम दुबारा मत आना,
अब यहाँ लखन हनुमान नही।।

—— Courtesy: unknown

#लोकसभा_आमचुनाव_2024

English Thought by Harshil Shah : 111935018
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