अहबाब यु तो जा नशी वक्त ने ख़ुद मेरे आगे रखा
सौगंध जो खा गए अपने, जमात ने हमें मुट्ठी में रखा
तेरे इश्क़ की राहों में, वतन ए बहार भी है तिमाम
ये रोशनी भी है मुददील, रहबर ए जज्वा बजा रखा
किस्न ए सुनुक में, साफगोई करीने में हर कहानी
वो शेर भी नज़र आएगा, जो लफ़्ज़ों से छुपा रखा
हर वसल ए मासूक युं तो, तेरी हसरतों का सफ़र
परवर दिगार से है दुआ, तुझे चुस्त ओ दुरूस्त रखा
बिछड़ा यार रोज़ रोज़, मगर उसकी याद ए जुस्तजू
हर पल जीरहा हूँ मैं, उसकी बातों गमों में सजा रखा
कुछ कोड़ी की पोर्चे ने पूरा सिस्टम उघाड़ दिया या रब
बत्ती गुल रही जम्मुरियत, उजाले तुने तरामीम हटा दिया
ए टू जेड सिस्टम बिकाउ बता, सियासा सकपका फलक
अन्धेरगर्दी अदलिया हरसफर, जान गर्दीश ए शान रटा दिया
© जुगल किशोर शर्मा बीकानेर
मिलते जुलते शब्द-शाब्दिक अर्थ
अहबाब - मित्र, दोस्त
जा नशी - जगह पर बैठने वाला, उत्तराधिकारी
सौगंध - कसम
जमात - समूह, दल
वतन ए बहार - देश की बहार
तिमाम - सभी, पूरे
मुददील - बदलने वाला, परिवर्तक
रहबर - मार्गदर्शक
जज्वा - भावना, उत्साह
किस्न ए सुनुक - सुकून का एहसास
साफगोई- स्पष्टता, ईमानदारी
करीने - तरीके से, व्यवस्थित
वसल ए मासूक - प्रेमिका से मिलन
परवर दिगार - भगवान, पालनहार
चुस्त ओ दुरूस्त - तंदुरुस्त और स्वस्थ
याद ए जुस्तजू - खोज की याद
कोड़ी - साधारण
पोर्चे - कागज़ का टुकड़ा, पर्ची, मंहगी कार
जम्मुरियत - लोकतंत्र
तरामीम - संशोधन नियम कायदे कानून
सियासा- राजनीति
फलक - आसमान
अन्धेरगर्दी- अराजकता, गड़बड़ी
अदलिया - न्यायपालिका
हरसफर - हर यात्रा
गर्दीश ए शान - प्रतिष्ठा की परिक्रमा