मैं और मेरे अह्सास
बदलते भारत की तस्वीर
बदल गया है भारत बदल रहा है दौर l
इंसानियत मर गई बदल गये हैं लोग ll
देखो चारो ओर फेला है अँधियारा घना l
जलते अंगारों पर जल रहा है पूरा देश ll
आज का दौर है कुछ एसा हर इन्सान l
मतलब के लिए पल में बदलते हैं वेश ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह