हम शीश झुकाने आयें है।
दर्शन की भिक्षा लेने को,
दो नयन कटोरे लाए हैं।।
अज्ञान अंधेरा दूर करो और,
ज्ञान का दीप जला देना।
हम ज्ञान की शिक्षा लेने को,
माँ द्वार तिहारे आए हैं।।
हम अज्ञानी बालक तेरे,
अज्ञान दोष को दूर करो।
बहती सरिता विद्या की,
हम उसमें नहाने आए हैं।।
हम साँझ सवेरे गुण गाते,
माँ भक्ति की ज्योति जला देना।
क्या भेंट करु उपहार नहीं,
हम हाथ पसारे आए हैं।।
माँ सरस्वती तेरे चरणों में,
हम शीश झुकाने आयें है।
दर्शन की भिक्षा लेने को,
दो नयन कटोरे लाए हैं।।
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