विचारों की लौ को
दहकना हीं होगा,
जंजीरों को टूटकर
अब बिखरना हीं होगा।
तुम जिसे कहते हो बंदिशे
उन बंदिशो को टूटना हीं होगा,
समाजिक कुरीतियों पर प्रहार
अब करना हीं होगा।
समाज को नई दिशा और दृष्टि
से प्रकाशित होना हीं होगा,
विचारों की चेतना पुंज से
अब समाज को प्रकाशित होना हीं होगा।
-Anant Dhish Aman