सजल
समांत -आह
पदांत- नहीं है
मात्रा भार - सोलह
मन में अब उत्साह नहीं है......
मन में अब उत्साह नहीं है।
दिखती मुझको राह नहीं है।।
अपनों ने जो जख्म दिए हैं।
उसकी कोई थाह नहीं है।।
मैंने खूब सजाया आँगन।
पर उनको परवाह नहीं है।।
एक-एक कर बिछुड़े अपने।
इक जुटता की चाह नहीं है।।
पूरा जीवन खपा दिया जब।
मन में चिंता, दाह नहीं है।।
मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "