जग से कभी न आह कीजिए......
जग से कभी न आह कीजिए।
उमर गई अब वाह कीजिए ।।
बदल गया है आज जमाना।
भेद-भाव का दाह कीजिए ।।
चौथा-पन आया है द्वारे।
मिल-जुल सभी सलाह कीजिए।।
माता नहीं कुमाता होती।
कर चिंता परवाह कीजिए।।
जन्म दिया है जिनने तुमको।
उनसे प्यार अथाह कीजिए।।
मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "
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