अनेकानेक जन्मों के एकत्रित सत्कर्मों की असमर्थता के पश्चात अनायास परमात्मा की कृपा से भगवद्गनाम स्मरण भाव बनते हैं जो अनमोल है इसे तिजोरी में रखें धन से ज्यादा सहेजकर रखना चाहिए। संतवाणी

-Ruchi Dixit

Hindi Thought by Ruchi Dixit : 111928628

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