दोस्त या मुकद्धस सब हमे का समय प्रबल रहा
कभी आगे या पीछे या रब खंजर रंग बदल रहा
सुहाने सपने जमुहरियत आजाद आजादी कब सहा
लाहौर लाहौल माईक शोर सजाद इम्दादी सब सहा
लोग बाग सरजाह यु घुमते घामते आजाद है
बतुके शेर है, शायरी है घरोदें बसे मरजाद है
एतां विद्यामपान्तरतमाय ददौ । अपान्तरतमो ब्रह्मणे ददौ ।
ब्रह्मा घोराङ्गिरसे ददौ । घोराङ्गिरा रैक्वाय ददौ । रैक्वो रामाय ददौ ।
रामः सर्वेभ्यो भूतेभ्यो ददावित्येतन्निर्वाणानुशासनं
वेदानुशासनं वेदानुशासनमित्युपनिषत् ॥
(such a sky and such a sun
i never knew and neither did you
and everybody never breathed
quite so many kinds of yes)
not a tree can count his leaves
each herself by opening
but shining who by thousands mean
only one amazing thing