मेरा गॉंव
गॉंव मेरा मुझे बहुत याद आता है
वो गलियाँ वो सड़कें वो नहरें वो तालाब
सुकून की छाँव देता वो बरगद किसी बुजुर्ग सा
गाँव मेरा मुझे बहुत याद आता है
वो बगीचा वो झुला वो सावन मस्त बहार
वो यारों संग शरारतें बेशुमार
गाँव मेरा मुझे बहुत याद आता है
वो माँ के हाथों से खाना
वो पिता की उंगली थाम कर गाँवभर में घूमना
गाँव मेरा मुझे बहुत याद आता है
वो होली वो दिवावली वो सारे त्योहार में
मिल जुलकर साथ साथ ख़ुशियाँ मनाना
एक दूजे की ख़ुशी में ख़ुश हो जाना
गाँव मेरा मुझे बहुत याद आता है
सौजन्य: अंकुर मीश्रा
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