मैं और मेरे अह्सास
माता के दरबार में जो है जाता मनचाहा पाता l
उसके दर से कोई भी ख़ाली हाथ न लौटता ll
माता की कृपा सब पर बरसे ओ हो बेड़ा पार l
आशीर्वाद से झोली भरके ही वापिस आता ll
घर घर माँ की पूजा हो धरा बन जाए स्वर्ग l
दर्शन करने वाला हर भक्त माँ के गुण गाता ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह