मैं और मेरे अह्सास
जिंन्दगी में गुज़रा हुआ वक्त वापिस नहीं आता l
ग़म तो ये है कि वो वक़्त यादों से नहीं जाता ll
मुकम्मल लाख कोशिशों के बाद भी रूठ के l
जाने वालों को मुंड कर वापिस कौन लाता !
दुनिया में हर कोई है खालीपन से हरा भरा l
क़ायनात में चैन और सुकून कौन है पाता?
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह