मैं और मेरे अह्सास
मौसम कोई भी हो रिक्षा वाला रूकता नहीं l
हालात औ परिस्थिति के आगे झुकता नहीं ll
सब के साथ एक ही व्यवहार करता है वो l
छोटा हो या बड़ा किसीको भी लुटता नहीं ll
ख़ुद की धुन में ख़ुद का कर्तव्य बजाता है l
बेमतलब और बेतुकी बातेँ वो पूछता नहीं ll
ज़्यादा या कम जो भी मिले खुश रहेता l
जिंन्दगी में हारकर कभी भी टूटता नहीं ll
जो बैठे रक्षा में उसे उसकी मंज़िल पहुँचाता l
कैसे भी हो अपनी ज़िम्मेदारी से छूटता नहीं ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह