छठ महारानी
जय जय हे छठ महारानी। हम त आईल बानी
तोहरे शरण हे छठ महारानी। देहू दरशनिया
खोली ना किवडिया हे छठ महारानी। तहरा
बिना ना होखब भव सागर से पार हे महारानी।
सात रे सूपवा में चढाईब सात फल और प्रसाद
ठेकुआ,अरसा , कसार , बताशा , मेवा मिष्टान्न
हे छठ महारानी। चढाएब दूध के अर्घ्य हे महारानी।
गंगा जल अक्षत सिंदूर अर्पित करब आऊर
पीयर फूल के मलवा चढाएब तोहके मनाईब
हे छठ महारानी।
बजाईब सात रे आजन बाजन छठ घाटे हो राम।
छठ व्रती संग चलली सभे संगतिया मिलि जुलि
गावे छठ गीत शहर के डहरवा हो राम कि गोटे रस्ता
देत चलली दंडवत प्रणाम हो राम।
कि भईले अरग के बेरवा पूजन के बेरवा हो राम।
जल निमग्न करिके आदित्य बाबा के मन में ध्यान
धरे कर जोड़ि करेली प्रार्थना सूरजमल से हो राम।
सूप में प्रसाद सजाईके धूप दीप जलाईके छठ व्रती करेली परिक्रमा दीनानाथ
के चरणिया हो राम। सूप में अर्घ्य देवेलन भक्त
महिला , पुरुष आऊर बच्चन लोग हो राम।
भगत संगत आऊर सभे श्रद्धालु मिलि जुलि के गावेली गीतिया हजार सूरजमल के चरणिया हो राम सूरजमल के परिक्रमा करिके छठ घाटे हाथ जोडि
के प्रार्थना गीत गावेली आदित्य मल के चरणिया
हो राम। कि बड़ा रे कठिन व्रत छठ के हववे हो राम। सांझि खानि धूप दीप जलते सूप में ले के
अईहे घर परिवार के लोगनि सूप दौरा हो राम।
अब रात खानि आठ बजे ले अंगना में छठ पूजा
करेली व्रती , कोसी भरिहें विधि विधान से हो राम।
कि गावे गीतिया छठ महारानी के चरणिया हो राम।
छठी मैया होहि ना सहाय होहि ना सहाय होहि ना सहाय। अंगना में जलाईब सोने के दियरा आऊर
कपूर के बाती हो राम। कि करब फेनू आगे साल
हो राम।
अनिता अकिंचन दासी मांगेली संतान सह सबेके
कुशल मंगल हो राम कि जोत जलते रहे दिन राति
अंगना रौशन रहे हो राम।
कौनो भूल चूक होखि लिखे में त करि दिह माफी
हो राम हे सूरजमल आदित्य मल कि देत बानी
दंडवते प्रणाम भूईयां लोटि के हो राम।
जय जय हे छठी मईया कोटि-कोटि प्रणाम।
जय हो जय हो जय हो हे छठी मईया
सूरज आराधना तहरे नाम लेहब सुबह
आऊर शाम।
-Anita Sinha