नव संवत्सर चैत्र नवरात्र।
सनातनी हिन्दू धर्म के अनुसार आज नव वर्ष मनाने
का विधान है। आज नवरात्र के पर्व पर हर जगह
आस्था का पर्व मनाया जाता है। प्रारंभ नवरात्र का आज है और पुर्णाहुति 17 अप्रैल रामनवमी को होना इसे देवी पक्ष कहा जाता है। इस दौरान मां के नव
रूपों की पूजा करते हैं श्रद्धालु गण तथा सभी लोग।
देव लोक से मां दुर्गा धरती पर आती है सबका संकट। हरने दुःख दूर करने को।
आइए करें स्वागत माता रानी का मंगल गीत गाकर
और पहनाएं कमल फूलों के हार माता रानी को। जय जगदम्बे जय मां अम्बे तेरे चरणों में मंगल आरती करें
तेरी स्तुति करें । तेरे चरणों में शीश नवाएं हे मां।
गंगाजल से चरण पखारें अक्षत सिंदूर अर्पित करें हे मां। तेरे चरणों में जयकारे लगाएं हे मां।
फल फूल और प्रसाद चढ़ाएं हे मां।
तेरे रज रज दर्शन पाएं हे मां।
देवी पक्ष के दौरान शुभ मांगलिक कार्य, नव वधूओं
का द्विरागमन शुभागमन तथा यात्रा मंगलमय होती है,
इस पक्ष में कोई मुहुर्त नहीं निकलवाया जाता है बेटी और बहू की शुभ विदाई में या शुभ कार्य के निमित्त
यात्रा करने के लिए सिद्ध मुहुर्त है यह। विजया दशमी
तक यह सिद्ध मुहूर्त चलता है। कहने का तात्पर्य यह है कि यात्रा बेटी या बहू करे तो नवरात्र में और वापिस आए भी नवरात्र में तो कोई यात्रा नहीं और कोई मुहुर्त
नहीं होता है। अपने आप में देवी मां के कृपा से यह
पक्ष सिद्ध होता है।
जैसे लड़की का रिश्ता देखने जाना है तो यह उपर्युक्त समय और यात्रा होते हैं। छेका ,तिलक,शादी
तथा अन्य कार्य हेतु यात्रा सब शुभ होते हैं और
फलवती होती है।
नौ दिन गरबा महोत्सव होता है।लोग जागरण
करते हैं। डांडिया नृत्य करते हैं। आनंद मनाते हैं।
नवरात्रि व्रत करने वाले व्रती नौ दिन मां की आराधना करते हैं। उपवास करते हैं। फल मेवा सामक की खीर
चढ़ाते हैं। धूप दीप और आरती करते हैं।
आज चैत्र मास का नवसंवत्सर सबका मंगलमय हो
यही कामना है। सबको शुभकामनाएं एवं बधाइयां
अनंत बार।
कोटि-कोटि प्रणाम हे मां दुर्गा महारानी।
जय जय मां तेरी जय हो मां।
भूल चूक माफ करो हे मां।
कृपा करो हे मां।
जग मंगल करो हे मां।
जय जय मां।
-Anita Sinha