मैं और मेरे अह्सास
क़ायनात में भूख के रंग हज़ारों होते हैं l
आधे से ज्यादा लोग भूखे पेट सोते हैं ll
अमीरों का उससे जी नहीं भरता कभी l
लालच की वजह से चैनो सुकूं खोते हैं ll
गरीब एक वक्त की रोटी को तरसते है l
अमीर लोग रुपये को हर वक्त रोते हैं ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह