पाप मोचनी एकादशी
चैत्र मास कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर
पाप मोचनी एकादशी व्रत कथा श्रवण करते हैं
व्रती, श्रद्धालु गण तथा जिन्हें इच्छा होती है कि
आज एकादशी व्रत है तो भगवान विष्णु जी आराधना करें। भगवान भाव के भूखे होते हैं, जो भी
उन्हें तन मन धन से समर्पित होकर भजते हैं वे
उसी के हो जाते हैं। आज पाप मोचनी एकादशी
व्रत पर भगवान श्री विष्णु भगवान जी की पूजा
करने का विधान है। यह व्रत पाप का तुरंत मोचन
करने वाले हैं।
बस भक्त को विधि विधान से तथा
एकादशी व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए।
भगवान विष्णु जी भक्त की भावनाओं से प्रसन्न होते
हैं। वे सबको समान फल प्रदान करते हैं चाहे भक्त
व्रत कथा पाठ करे, व्रत कथा श्रवण करके व्रत करे,
विष्णु सहस्रनाम पाठ करे तथा उनकी भक्ति में लीन रह कर एकादशी के नियमों का पालन करे यथासंभव
जैसे दिन में शयन नहीं करे, रात्रि जागरण करे। हरि नाम संकीर्तन करे। *हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे*।
श्री कृष्ण मंत्र का पाठ करे।
प्रातः काल में उठकर भगवान विष्णु जी की पूजा
नियमानुसार करे। गंगा जल, अक्षत, रोली, तिलक चंदन , तुलसी दल माला , तुलसी दल तथा पीले फूलों की माला , कमल फूलों के हार, पीले वस्त्र तथा फल प्रसाद सामर्थ्य के अनुसार अर्पित करते हैं। भगवान विष्णु जी के चरणों में जयकारे लगाए जाते हैं। शंख ध्वनि होती है। ढोल ढाक झांझर और करताल बजाए
जाते हैं। हरि नाम धुन श्रवण करते हैं। पुरोहित जी को बुलाया जाता है। भगवान विष्णु जी की पूजा करते हैं। एकादशी व्रत कथा श्रवण करते हैं।
*ऊं जय जगदीश हरे * भगवान विष्णु जी की आरती करते हैं। तत्पश्चात् भोग लगाते हैं।
अब पंडित जी को प्रणाम करके दान दक्षिणा देकर कृतकृत्य होते हैं। यथा संभव आज एकादशी व्रत पर दान दक्षिणा करते हैं। आज का दाना सर्वश्रेष्ठ है। नियम से एकादशी व्रत का पारण किया जाता है।
एकादशी स्वयं श्री कृष्ण जी हैं। गरीबों को दान
करते हैं व्रती। एकादशी व्रत का माहात्म्य अत्यधिक होता है। व्रती को सदाचार और संयम से रह कर
इस व्रत को करने चाहिए।
लिखने में यदि कोई भी त्रुटि हो गई है तो क्षमा प्रार्थी हूं । जय जय भगवान श्री विष्णु भगवान जी।
जो पढ़े,लिखे एवं श्रवण करते हैं उन्हें एक समान
फल प्राप्त होते हैं। अकिंचन दासी अनिता आपके चरणों में शरणागति करके पुनः एकादशी व्रत पर
लिखने की कामना करती है और सबके मंगल कामना की इच्छा रखती है।
जय जय श्री हरि विष्णु ।
हरि ओम् तत् सत्।
* हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे*।
हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल।
नाम संकीर्तन करते हैं। जयकारे लगाते हैं। शंख ध्वनि होती है। अखंड ज्योति जलाए जाते हैं।
बताशे लुटाए जाते हैं। फूलों की बारिश करते हैं।
जय जय श्री विष्णु भगवान जी कोटि-कोटि प्रणाम।
पाप मोचनी एकादशी व्रत पर शुभकामनाएं एवं बधाइयां सबको।
जय जय श्री विष्णु भगवान जी।
जय श्री हरि विष्णु जी।
हरि शरणं मम्। हरि शरणं मम्। हरि शरणं मम्।
-Anita Sinha