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कूंच लोग हक़ीक़त से अंजान होते हैं अपनों लोगों को छोड़कर वो पराए लोगों में अपनापन ढूंढते हैं ।। नरेन्द्र परमार ✍️
करवटें बदलते बदलते रात में गुज़ारता हूं अब तुझे कैसे समझाऊं में ?? में तुझे कितना याद करता हूं ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "
बातें बड़ी बड़ी करते हों आप मगर खुद मतलब नहीं समझते हों ! रामायण पुरी तरह से देखते हों आप फिर भी रावण कौन था ??? यही सवाल बाद में करते हों ।। नरेन्द्र परमार ✍️
तुमने तो ख़ून का रिश्ता बना दिया है अब तुम ही बताओ हमें ?? हमने इसमें कौनसा गुनाह किया है ।। नरेन्द्र परमार ✍️
વારંવાર મારે તને શું સમજાવાની એના કરતાં તો હું બીજી કોશિશ ન કરું છોકરી પટાવવાની..... નરેન્દ્ર પરમાર " તન્હા "
रातों को हमें जागने आदत हो गई जबसे हमें तुमसे मोहब्बत हो गई ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "
जिंदगी है कभी-कभी करवटें बदलती है हसीनाएं भी कभी-कभी अपना रंग बदलती है ।। नरेन्द्र परमार ✍️
आंखें बंद करके हर किसी के उपर भरोसा मत किजिए फिर इश्क़ में धोखा खाकर ईश्वर को दोष मत दीजिए ।। नरेन्द्र परमार ✍️
मोहब्बत की आग भी ठंडी हो जाएगी जब आपके जिस्म की आग बुज जाएगी ।। नरेन्द्र परमार ✍️
हर इंसान से इंसानियत का मतलब है हमारा फिर मुझे आते जाते लोगों को ऐ नहीं पुछना है कि ?? कौन सा धर्म है तुम्हारा ।। नरेन्द्र परमार ✍️
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