इमकान इमरान परतागरी, चौबारा पच्चीस
काउण्ट अब रोज छोरपे जम्मुरियत अतीक
बहन भाया मुगालता, मुहबत ईश्क इमकान
जावेदा, जमाल करे, कानून आखंन समझाय
गांधी गरदा यू चला, कामी मचला हजूर
जान देश नुछावर ढबजा, इफतारा खजूर
इण सब्जेक्ट गरीबी बिसात, और नीति कमजोर
लूखा लाड लडा रहया, सनातन सू मुहा रे मोर
दाता हमारे रामजी, जब रामही राम रटाव
दुखिया नर संसार बड़ा, जीव जीव घटाव
ना शराब मददगार न मोहब्बत के मकामी आंसू
ना हरामी पैसा, सत्ता कुर्सी धौंसगिरी या रूआसूं
छोड़ साकी मयखाना, ठोकरों में रखना ये पैमाने को
मोहब्बत मुगालका दुकाना, मुफतखोरी मजन जमाने को
सफर पै चलो जरूर, बहुत सोच के समझ के
रिश्वत कमीशन हफता, सब्जेक्ट नहीं बहस के