बस तुम ही..…..
मेरे हंसते हुए चेहरे का दर्द ,
गिरते हुऐ आंसुओ की तपिश,
टूटते हुए मेरे अहसास,
संभालता हुआ मैं,
बस तुम ही तो जानती हो.........।
मेरे दर्द के सागर को,
छिली हुई चमड़ी के घाव को,
रक्त की उस धार को,
ठहरी हुई मेरी जिंदगी को,
बस तुम ही तो जानती हो.........।
टूटते सपनो को,
मिटते यादों के अहसास को,
घायल होती संवेदनाओं को,
रक्त रंजित प्यार को,
बस तुम ही तो जानती हो.........।
मेरी पूरी जिंदगी को,
आधे अधूरे सपनों को,
बुझते मेरे दिल के दीए को,
तड़पती मेरी रूह को,
बस तुम ही तो जानती हो.........।
वो कातिल नजर को,
छुपे खंजर के हाथो को,
झूठी उस मुस्कान को,
चालकों की चाल को,
बस तुम ही तो जानती हो.........।
भरत (राज)
-Bharat(Raj)