विषय - कसम की कसम
दिनांक -15/03/24
बचपन से तुम्हें चाहते हैं,
मेरी यह बात तुम जान लो।
आते जाते तुम्हें देखते थे,
कसम से ये बात मान लो।।
तुम्हीं मेरे बचपन का प्यार हो,
आज तुम्हें मैं ये जताता हूं।
तुमसे ही सिर्फ प्रेम किया है,
अपने दिल की बात बताता हूं।।
तुम्हारे मोहल्ले से चले जाने पर,
वर्षों तुम्हारा इंतजार किया था।
तुम्हारे घर के चक्कर लगाकर,
अन्य लोगों से हाल चाल लिया था।।
यही सोचता था अकेले में,
एक दिन तुम वापस आओगी।
कमी तुम्हारी खलती थी जो,
क्या उसकी भरपाई कर पाओगी।।
देखो तुम्हारे इंतजार में मैंने,
सिर्फ पढ़ाई में मन लगाया था।
मन को अपने न भटकाकर,
बस तुम्हें ही दिल में बसाया था।।
मेरे जीवन के दो ही लक्ष्य थे,
तुम्हें और जॉब को पाना था।
जॉब के एक बार लग जाने पर,
तुम्हारे घरवालों को मनाना था।।
जिंदगी के इस लंबे सफर में,
क्या तुम मेरा साथ निभाओगी।
कसम तुम्हारी मैं खाता हूं,
पछतावे की गुंजाईश नहीं पाओगी।।
किरन झा (मिश्री)
-किरन झा मिश्री