प्रमादो ब्रह्मनिष्ठायां न कर्तव्यज़् कदाचन । प्रमादो मृत्युरित्याहुर्विद्यायां ब्रह्मवादिनः ॥
यथापकृष्टं शैवालं क्षणमात्रं न तिष्ठति । आवृणोति तथा माया प्राज्ञं वापि पराङ्मुखम् ॥
कुछ गम नहीं इस सिलेक्शन ए कारीगरी ओए जश्ने मुहब्बत में
पैसै ही कम थे, तैयारी मेहनत रंगदारी पेपर नापरचेज गुरबत में
चोरी चकारी लूटमार कुनबा कुकर पनपे इस रंगदारी सियासत में
ओपन रही पेपर सेटिंग उपर नीचे बहके हम सनातन फिरकत में
कमाल यह रही हमी किताबों की खाक झानते रहे
परचेज ना कर पाये पेपर, अपने ही बता लानते रहे
आका जुगाली मस्त कब्जाये कोठी सरगम
मुहब्बत माल परोस रहे सोसल मीडिया कम
Understanding the distinctions and connections between thought, morality, and ethics allows us to make informed decisions, navigate complex situations, and contribute to a society with a well-defined moral framework that fosters individual growth and societal well-being.Mother used to say that however miserable one is, there’s always something to be thankful for. And each morning, when the sky brightened and light began to flood my cell, I agreed with her.