विषय - आंखों का काजल
दिनांक -03/03/2024
देखकर उनकी बड़ी बड़ी आंखें,
दिल हो गया था कायल।
उस पर उनका काजल लगाना,
दिल को कर गया था घायल।।
कातिल ऐसी वो निगाहें थी,
ये पत्थर दिल भी पिघल गया था।
एक ही दिल था मेरे पास जो,
हाथ से अब ये फिसल गया था।।
उन कजरारी आंखों को देखकर,
दिल उनमें डूबना चाहता था।
हकीकत में न सही,ख्वाब में आना,
बांहों में उसे भरना चाहता था।।
देखकर मेरी ललचाई आंखों को,
दिल उसका जोरों से धड़का था।
भांपकर मेरे इरादों को,
उसकी बड़ी बड़ी आंखों से गुस्सा झलका था।।
देखकर उसकी गुस्से वाली आंखें,
प्रेम का भाव चकनाचूर हुआ था।
पर उसकी मनमोहक छवि ने,
मेरे अंतर्मन को छुआ था।।
किरन झा (मिश्री)
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री