मैं और मेरे अह्सास
बुढ़ापा खूबसूरत हैं मानो कहना l
समय की नजाकत साथ बहना ll
कर्म के अनुसार जिन्दगी जाएगीं l
दर्द दिल का चुपचाप से सहना ll
क़ायनात से रुखसत होने से पहले l
साथ सबके मिलझुल कर रहना ll
आईना भी हसता हुआ देख रोने लगे l
सदा मुस्कुराहट का मुखोटा पहना ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह