मैं और मेरे अह्सास
शरद पूर्णिमा के दिन इश्क़ से पहली मुलाकात हुई थी l
पूनम की चाँदनी रात में मुहब्बत की शुरुआत हुई थी ll
एक चाँद आसमान में था और एक नीचे ज़मीं पे रूबरू l
सितारों के सामने हाल ए दिलों की रजूआत हुईं थीं ll
राग रागिनी से गूँजती नशीली और खिलखिलाती l
महफिल में आँखों ही आँखों प्रियतमा से बात हुईं थीं ll
२४-२-२०२४
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह