भाषा में रोचकता,आक्रमकता,आक्रान्ताई विचारो से ओतप्रोत होकर विद्रुप ढंग से पेश जिसमें तबला हारमोनियम और मनोरंजन फूहड़ की भरपूरता ही सास्कृति,धार्मिक परिवर्तन के सौपान है, कही की ईट कही का रोड़ा भानुमति ने कुनबा जोड़ा । ’’आक्रान्ता की भाषा की प्रतिस्थापन, अग्रणी थोपन, क्या सहज सरल भाव से देखने पर सब ज्ञात है,
मुदि आखों खोले कौन’’
निज़ाम तोरी.... सदका बाबा गंज शकर का रख ले लाज
हमारी मेरे घर निजाम पिया निज़ाम तोरी सूरत की बलिहारी
कुतुब फरीद मिल आए बराती खुसरो राज दुलारी
निज़ाम पिया रख ले लाज हमारी #UnlockingLongevity #WellnessJourney