सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना।
काव्य लेखन की स्वामिनी तुम हो हे मां शारदे।
काव्य में भक्ति हो हे मां शारदे।
काव्य सृजन करने की शक्ति दे हे मां शारदे।
काव्य लेखन कला की शिक्षा दे हे मां शारदे।
हे मां शारदे।
काव्य लेखन शैली को सुधार दे
हे मां शारदे।
काव्य लेखन में सक्रिय रहें हे मां शारदे।
काव्य लेखन में अवरोध नहीं हो
हे मां शारदे।
काव्य लेखन की अधिष्ठात्री देवी
तुम हो हे मां शारदे।
काव्य संग्रह बनाएं हे मां शारदे।
काव्य से तेरी पूजा करें हे मां शारदे।
काव्य लिखने की प्रेरणा दे
हे मां शारदे।
काव्य लेखन में रुचि पैदा हो
ऐसे ही वरदान दो हे मां शारदे।
तेरी पूजा करें हे मां शारदे।
तेरे चरणों में शीश नवाएं हे मां शारदे।
तेरे चरणों में जयकारे लगाएं
हे मां शारदे।
विमल मति दे हे मां शारदे।
तमस हरो हे मां शारदे।
बुद्धि को हाजिर जवाब बना दे
हे मां शारदे।
बुद्धि पर विराजो हे मां शारदे।
बुद्धि का भंडार दे हे मां शारदे।
बुद्धि की जड़ता को दूर करो
हे मां शारदे।
सद्बुद्धि दे हे मां शारदे।
कुबुद्धि नाशिनी तुम हो हे मां शारदे।
मन्द मति और मूढ़ मैं हो गया
हूं हे मां शारदे।
फल फूल और प्रसाद चढ़ाएं
हे मां शारदे।
धूप दीप और आरती करें हे मां शारदे।
तेरे चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम
हे मां शारदे।
* यद्क्षरं पथभ्रष्टं मात्रा हीनं च
यद्भवेत्।
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरी।*
-Anita Sinha