Hindi Quote in Religious by Anita Sinha

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बसंत पंचमी।

शीत ऋतु के समाप्त होते ही आता है शुभ संदेश
बसंत ऋतु का । ठंड की मार सहते हुए लोगों
के अस्त व्यस्त जीवन का हो जाता है अंत।


माघ मास शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि पर ऋतु
बसंत का जब होता है आगाज़
तो स्वयं ही बदल जाते हैं जन जन
के वेश परिवेश।
बसंत पंचमी पर्व मनाया जाता है बसंत के
मौसम में। मां शारदे की शुभ जन्म दिन पर मां सरस्वती जी
की पूजा करते हैं विद्यार्थी गण , शिक्षक एवं शिक्षिकाएं , तथा मां शारदे के भक्त गण, देश विदेश
में पढ़ाई-लिखाई से संबंधित रिसर्चरों , बालिकाएं, महिलाएं एवं शैक्षणिक संस्थानों से संबंधित श्रद्धालु गण आदि। विश्व की संचालिका मां शारदे के चरणों
में कोटि-कोटि प्रणाम।

बसंत के आगमन के शुभ संकेत पाकर
जन जन में छा जाते है हर्षोल्लास।
यह दिवस मां शारदे की साधना में लीन
होकर भक्त गण बना देते हैं खास म खास।
ज्ञान का भंडार देकर सबको बना देती है
मां शारदे ज्ञान वान।

बागों में खिलते हैं पीले और लाल फूल।
जिसे देखकर मिट जाते हैं मन के शूल।

प्रकृति खिलखिलाती है और इठलाती है
पाकर हरित धरती का उपहार।
कोहरे के पहरे हो जाते हैं विलीन।
सब खुश हो जाते हैं तब होते हैं दूर मन मलिन।
पक्षियों के कलरव से मन मुग्ध हो जाता है
नव रव का होता है सृजन और शरीर से लाचार
लोगों में होते हैं नव जीवन का संचार।
सच यही है इसलिए बसंत ऋतु कहलाता है
ऋतुराज।
जन जन के मन में भर देते हैं उमंग और उत्साह।
बसंत पंचमी पर्व आता है मां शारदे के शुभ जन्म दिन पर लेकर सबके लिए नवल प्रभात।
इस शुभ प्रभात वेला में आइए करते हैं
मां सरस्वती जी की पूजा अर्चना और मनाते
हैं जगराते दिन रात हंसते गाते झूमते हुए एवं
कीर्तन भजन करते हुए फूलों की बारिश करते
रहें ।
इसी तरह मां शारदे के शुभ जन्म दिन
बसंत पंचमी पर
मां सरस्वती जी की आराधना करें।
कोटि-कोटि प्रणाम चरणों में शीश नवाकर करें।

यद्क्षरं पथभ्रष्टं मात्रा हीनं च यद्भवेत्।
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरी।






-Anita Sinha

Hindi Religious by Anita Sinha : 111918484
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