बसंत पंचमी पर हार्दिक बधाईयां सबको।
बसंत ऋतु के आगमन पर बसंत पंचमी पर्व मनाते हैं। मंदिर , विद्यालय ,शिक्षण संस्थानों में विद्या की अधिष्ठात्री देवी की प्रतिमा सभी लोग मतलब कि
श्रद्धालु गण स्थापित करते हैं। प्रतिमा का आज
अनावरण किया जाता है। उसके बाद मां सरस्वती जी की पूजा विधि विधान से करते हैं। प्रतिमा का श्रृंगार करते हैं। श्वेत रेशमी साड़ी चढ़ाते हैं। केश विन्यास किया जाता है। मां सरस्वती जी का सोलह श्रृंगार किया जाता है। आज सात सुहागिनें मिलकर मां शारदे को सुसज्जित करती हैं। श्वेत कमल फूल एक
हाथ में सजाते हैं। दूसरे हाथ में कलम सेवा करते हैं।
स्फटिक माला तीसरे हाथ में रहते हैं। वीणा से
सुसज्जित प्रतिमा तो होती ही है । जय हो मां वीणा वादिनी हे मां शारदे।
सात सुहागिनें मिलकर मां के चरणों में सुहाग सामग्री सजाती हैं। भाल तिलक चंदन लगाते हैं।
सिंदूर लगाते हैं सुहागिनें मिलकर । कान में कुंडल,
हाथ में चूड़ी , नेलपालिश , टीका , नथिया , आलता,
चंद्रहार अर्पित करते हैं। पीले फूलों के हार पहनाए
जाते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि आज मां शारदे
की पूजा घर घर में होती है। विद्यालय तथा शिक्षण संस्थानों में भव्य तरीके से सजा कर मां शारदे की
पूजा होती है।
फल फूल और प्रसाद चढ़ाते हैं। धूप दीप और आरती करते हैं। शंख ध्वनि होती है। जयकारे लगाते हैं। पंचामृत प्रसाद अर्पित करते हैं। भोग लगाते हैं।
ढोल ढाक झांझर और करताल बजाकर जयकारे लगाए जाते हैं।
मां सरस्वती जी की पूजा के बिना ज्ञान नहीं होता है। ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी की पूजा आज विशेष रूप से होती है। मां सरस्वती जी सबको विद्या का वरदान देकर विद्वान् बनाती हैं। ज्ञान चक्षु खोलने
वाली मां शारदे को कोटि कोटि प्रणाम।
बसंत ऋतु आया और शुभ जन्म दिन मां सरस्वती
जी का आया।नया संदेश लाया। नव ऋतु ऋतुराज बसंत है आया। मां सरस्वती जी का शुभ जन्मोत्सव
बसंतोत्सव मनाने का दिन है आज। प्रकृति नव नव
फूल खिलाती हैं। हरियाली धरती पर खुशियाली
आती है बसंत ऋतु पर। सबों के मन में बसंत जैसा
आनंद भरती है।
चारों ओर बसंत ही बसंत दिखाई देता है।
* डाक्टर हजारी प्रसाद द्विवेदी जी के शब्दों में
बसंत आता नहीं ले जाया जाता है*।
आज से ऋतुराज बसंत का स्वागत करते हुए
हम सब मिलकर आइए मां सरस्वती जी के चरणों में
बसंतोत्सव मनाएं। गाएं शुभ शुभ विद्या दायिनी
के चरणों में गीत । सब हो मन से मीत। ना कोई
रहे दीन दुःखी और त्रसित। आनंद की सरिता बहती
रहे । मलयानिल बहती रहे। बसंत के आगमन पर
आनंद की सरिता बहती रहे। सबों के जीवन में
हो बसंत ही बसंत।
जय हो मां शारदे कोटि-कोटि प्रणाम।
मां सरस्वती जी के शुभ जन्म दिन पर शुभकामनाएं एवं बधाइयां सबको।
-Anita Sinha