बचपन में लौटना तो संभव नहीं है । परिवर्तन को स्वीकार कर लेना ही जीवन है। काश एक भ्रम है उसमें कोई सुख नहीं जब आप आपने बचपन को जिया था तब उतना सुख अनुभव नहीं किया होगा जितना आज तुलनात्मक रुप से कर रही हैं। देखा जाये तो काश मे सुख है ही नहीं सुख है तो वर्तमान को सहजता से स्वीकार कर लेने में । है मुश्किल लेकिन प्रयास किया जा सकता है।
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-Ruchi Dixit