मैने कुछ लिखा..उसके उपर,
हर शब्द को उसकी ओर मोड दिया,
हर मात्रा में उसका चेहरा छुपा कर छोड़ दिया,
उस से मिलना लिखा, उस से बिछड़ना लिखा,
लिखा फिदा हो जाने का वो आलम,
उस दूर हो जाने का दर्द लिखा,
उससे मिलने का सुकूँ लिखा,
सबने उसको पढ़ा, सबने उसको समझा,
सबने निहारा मेरे लिखे हर शब्द को,
पर कोई नही देख पाया वो छुपा चेहरा,
नही जी पाया मेरी तरह हर लम्हें को,
नही महसूस हुआ उन्हें वो दर्द वो खुशी,
क्योंकि वो पढ़ रहे थे बस शब्द मात्र को,
उनमें से किसी को नही था प्रेम,
उस लिख शख्स से जिसपर लिखा गया था मेरा हर शब्द,
फ़िर एक भटके राही की नज़र भी पड़ी मेरे लिखे शब्दों पर,
और वो रोने लगा वो हंसने लगा,
उसकी आँखों में उतर आया वो दर्द वो सुकूँ सारा,
क्योंकि उसने भी ढूढ़ लिया था,
चेहरा अपने मेहबूब का हर लफ़्ज़ में,
मेरी ही तरह...!
-jagGu Parjapati ️