मां सरस्वती वंदना।
शीश नवाकर मांगें मां शारदे तुझसे
विद्या बुद्धि और ज्ञान का वरदान।
विद्या विभूति पाकर पा जाएं मान सम्मान।
तुम बिन विद्या कहां से पाएं हम
तुम ही हो मां विद्या रत्नों की खान।
तेरे चरणों में आस लगाकर बैठे हुए हैं हम।
तेरी महिमा गान लिखने की शक्ति पा जाएं हम।
तेरी भक्ति भावनाओं में डूबा रहे मेरा मन।
बुद्धि से भर कर बनाओ हमें बुद्धिमान।
विनम्र और विवेकवान बना दे अब मां हमें
सृजन करते रहें कविता तेरी कृपा से
बने मनभावन और करे तेरा जय गान।
अज्ञान तिमिर हर कर तुम हे मां शारदे
बनाओ जीवन ज्योतिर्मय और ज्ञान मय
चमकता रहे दमकता रहे जीवन हे मां शारदे।
हो जीवन में अब नवल विहान।
सुख शांति समृद्धि पाते हैं मां तुझसे
सद्विचार और सद्बुद्धि पाते हैं मां तेरी कृपा से।
हे जगजननी जगदंबा पाते हैं विमल मति
मां तुझसे।
अकिंचन्य दासी अनिता की पुकार सुन कर
अब तेरे चरणों में शरणागति दे मुझे।
ऐसे ही वरदान की आस बनी हुई है मां तुझसे।
आ जाओ अब हे मां हंसवाहिनी हंस पर होकर
सवार।
आंचल में भर दे हे मां तेरी कृपा का उपहार।
जय जय हे मां सरस्वती ज्ञान दायिनी मां शारदे।
कोटि-कोटि प्रणाम मां शारदे।
भूल चूक माफ करो हे मां शारदे।
जय जय मां शारदे। जय हो मां शारदे।
-Anita Sinha