तुम्हारे आलौकिक व्यक्तित्व के,
हम तो कायल हो गए थे।
बिन देखें जो महसूस किया था,
उसमें हम तो खो गए थे।।
बिना देखें सिर्फ शब्दों के भाव से,
धीरे धीरे हम पिघल गए थे।
दिल में कुछ कुछ होने लगा था,
ये सोचकर हम मचल गए थे।।
लोग तो देखकर प्यार करते हैं,
हम बिन देखे ही कर गए थे।
आए तो बहुत इस जिंदगी में,
पर किसी पर नहीं हम मर गए थे।।
नजदीकियां अब दूरी में बदल गई ,
इस सोच में हम पड़ गए थे।
कहीं चले न जाएं वो हमें छोड़कर,
इस एहसास से ही डर गए थे।।
किरन झा मिश्री
-किरन झा मिश्री