“भुला हुआ है राह मुसाफिर
बिछड़ा हुआ है मंजिल से
बिछड़ा हुआ है मंजिल से
खोए हुए रास्ते का पता
तुम पूछ लो अपने दिल से
अपने दिल से
भुला हुआ है राह मुसाफिर
बिछड़ा हुआ है मंजिल से
बिछड़ा हुआ है मंजिल से
खोए हुए रास्ते का पता
तुम पूछ लो अपने दिल से
तुम पूछ लो अपने दिल से
अपने दिल से
चलते चलते ऐसे थके
मंजिल का ठिकाना भूल गए
हा भूल गए
अपनी कहो कुछ मेरी सुनो
क्या दिल का लगाना भूल गए
हा भूल गए
चलते चलते ऐसे थके
मंजिल का ठिकाना भूल गए
हा भूल गए
अपनी कहो कुछ मेरी सुनो
क्या दिल का लगना भूल गए”
💕