दिवाली है जो अपनी अलग ही रौनक लिए आती है... सबसे अलग सबसे खास । पर मेरा सबसे खास इंसान क्यों दूर है मुझसे । ये तीसरी दिवाली है जब तुम मेरे पास नहीं हो ...हर बार एक खालीपन सा लगता है...तुम्हारे जाने के बाद खुश रहना ही भूल गई हूं या शायद दुःख छुपाना सीख गई हूं।
समझ ही नही आता क्या करती हूं क्या चाहती हूं...अजीब से पागलपन ने घेर रखा है। जब खुश होती हूं तो डर लगता है की अगले ही पल वो खुशी मुझसे छीन ली जायेगी। तुम्हारे जाने के बाद तो मैं इतना बदल गई हूं की खुद को ही पहचान नहीं पाती।
लोग कहते है की किसी के जाने से कोई नी मरता...पर ऐसी जिंदगी से तो मौत लाख गुना अच्छी हैं ना जो तुम्हारे बिना गुजर रही।मुझे तो याद भी नहीं लास्ट टाइम कब मैने किसी को अपनी दिल की बात कही थी। एक घुटन सी ले कर जी रही हु ...ना किसी से कुछ कह पाती हूं और ना किसी की बाते सुनना अच्छा लगता है। बस जब दिल भर जाता है तो लिख दिया करती हूं। अब अकेलापन अच्छा लगने लगा है...किसी के साथ रहने या बात करने का मन नही करता...बस सोचती हूं जैसे तैसे जिंदगी गुजर जाए।
दिवाली की रोशनी में बस तुम याद आती हो... बस एक किरण बन कर आ जाओ और फिर से खुश रहने की छोटी सी वजह दे दो😔🙏🏻
-ArUu