रुद्रपुर

ये शहर मुझको एक अनजान शहर लगता था
इसकी फिज़ाओं में सुर संगीत वास करता था
मैने देखा है बुलंदी को छू लेते हैं जो
वो शख्स अहम के पाले मगरुर रहता था

ये गलत धारणा मेरी जो अब खारिज होगी
अपनो को नाराज करना अब ना ये वाजिब होगी
भर के आकाश तक प्यार जो लुटाया है
ऐसे एक शक्श को गुंजन की सलामी होगी।।

©®

Hindi Thank You by गायत्री शर्मा गुँजन : 111902974
New bites

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now