उम्मीद छोड़ दी है हर किसी से मैंने
ज़हन को इस तरहा संभाल रखा है
न पूछो अब मेरी हालत क्या है?
हर जज़्बात छननी से छान रखा है
मिलोगे कभी तो पहचान न पाओगे
खुद को अलग सांचे में ढाल रखा हैं
हाँ, होती है दस्तक दिल में अब भी
जैसे किसी ख़्वाब ने दामन थाम रखा है
ये पलकें भी कैसा कमाल करती हैं
छुपाकर इस ने सारा आसमान रखा है
_✍️anupama