ज़िंदगी तू कभी सख्त
तो कभी तू बहुत नरम
शायद यही तेरा धरम
कभी तू होती बहुत गरम
तो कभी देती है शीत
ज़िन्दगी की यही है रीत
कभी करें तुझसे मोहब्बत
तो कभी होती बहुत नफरत
कभी तू लगे बहुत खूबसूरत
तो कभी हो जाती है बदसूरत
तेरा पहिया यूँ ही चलता रहे
अब हम भी इसी में रम गए
कभी गम तो कभी उल्लास
तू रुक गयी तो सब खल्लास