प्रेम ही पूजा हे, प्रेम ही कृष्ण हे।
प्रेम ही राधा है,बलिदान भी राधा है।
सत्य ही कृष्ण है, सनातन धर्म भी कृष्ण है।
अश्रु भी राधा ही है,और मित्र भी राधा है।
परमात्मा भी कृष्ण है,परम शक्ति भी राधा है।
भक्ति और उपासना दोनो ही राधा कृष्ण ही है।
राधे कृष्णा
-Bhanuben Prajapati