गजल
हवादिसात जरूरी है जिंदगी के लिए
कि मोड होते है हर राह गली के लिए
न कोई मेरे लिए है न मैं किसी के लिए॓
बस एक लफ्ज-ए-नदामत हूं जिंदगी के लिए
जो तितलियों की तरह मुझ से और दूर हुआ
बढाया जिस की तरफ हाथ दोस्ती के लिए
ये उब्ज उज्व मिरा प्यास से सुलगता है
मुझे लहू की जरुरत है तिश्नवी के लिए॓
बस इस से बढके मिरा इम्तिहान क्या होगा
मैं जहर पी के जिया हूं तिरी खुशी के लिय॓
जो हो सके तो खुद अश्को को पोंछ लो 'इबरत '
किसी के पास कहां वक्त दिल-दही के लिए
..... इबरत मछलीशहरी