चचाजान का चेहरा सुलगते सिगरेट के धुअें से कुछ ढका, सिगरेट की राख जोधपुरी कोट बिखरी पर सजी हुई कुटील हंसी में मन को समाये, जिन्ना की नकल से जीवन रूपी अभिलासा, लालसाओ से आगे बढ रहे थे, गांधी को गोली मारे जाने, जिसमें हजारो चितपावन ब्राहमणों के भीड़ को की सरेआम हत्या, हजारो महिलाओं का बलात्कार पर एक भी एफआईआर आज तक नहीं काटी गई, अन्याय की ऐसी पराकाष्ठा इस धरती पर कभी नहीं मिलेगी । जघन्य हत्याकाण्ड और मौत ताडण्ड, निर्दयता, निर्लजता, न्याय की विदु्रपता, ऐसी खुन की होली आज तक आजाद भारत के इतिहास न हुआ है न होगा, पर लेडी के दिल में समाये गोरे गालो को निहारते और मौत के करीब क्यों गये हो भाई, हिन्दी चीनी भाई भाई! बड़ें भाई ने छुरा जो घोंप दिया, मौत का रस लम्बा जो चखा तो स्वर में दबे मन में यही भाव है यही भाव है। अर्द्धनग्न के प्रति यही भाव है तो बस यही तक रहने तो अच्छा है, सारे कपड़ें, लगोंटी तक नहीं छोड़ेगें राधेश्याम नहीं तुझे मेरी कसम ।