*दोहा सृजन हेतु शब्द--*
*सावन, फुहार, झूले, सखी, कजली*
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1 सावन
आया सावन झूम कर, हरियाली हर ओर।
पीहर में झूलें सखी, कजरी का है शोर।।
2 फुहार
सावन लगता है मधुर, रिमझिम पड़े फुहार।
कोयल राग अलापता, करता है मनुहार।।
3 झूले
बाबुल का संदेश है, आ जा बेटी पास।
झूला डाले बाग में, सखियाँ आईं खास।।
4 सखी
यौवन में झूलें सखी, बचपन लौटा पास।
मन गोरी का बावला, सावन पावस खास।।
5 कजली
चौपालों में गूँजता, कजली का स्वर रोज।
कोयल के संगीत से, नव प्रभात सा ओज ।।
मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "
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