वक़्त करता जो वफ़ा...”
वक़्त करता जो वफ़ा, आप हमारे होते
हम भी औरों की तरह...
हम भी औरों की तरह आपको प्यारे होते
वक़्त करता जो वफ़ा...
अपनी तक़दीर में पहले ही से कुछ तो ग़म है
अपनी तक़दीर में पहले ही से कुछ तो ग़म है
और कुछ आपकी फ़ितरत में वफ़ा भी कम है
वरना जीती हुई बाज़ी तो ना हारे होते
वक़्त करता जो वफ़ा, आप हमारे होते
वक़्त करता जो वफ़ा...
हम भी प्यासे हैं, ये साक़ी को बता भी ना सके
हम भी प्यासे हैं, ये साक़ी को बता भी ना सके
सामने जाम था और जाम उठा भी ना सके
काश हम ग़ैरत-ए-महफ़िल के ना मारे होते
वक़्त करता जो वफ़ा, आप हमारे होते
वक़्त करता जो वफ़ा...
दम घुटा जाता है, सीने में फिर भी ज़िंदा हैं
दम घुटा जाता है, सीने में फिर भी ज़िंदा हैं
तुम से क्या, हम तो ज़िंदगी से भी शर्मिंदा हैं
मर ही जाते ना जो यादों के सहारे होते
वक़्त करता जो वफ़ा, आप हमारे होते
हम भी औरों की तरह...
हम भी औरों की तरह आपको प्यारे होते
वक़्त करता जो वफ़ा...
❤️