मेरी याद....................................................
वो रोशनी का संसार है,
सुनसान सा मगर उसके अस्तित्व में भी जान हैं,
बेनाम वो रास्ता, गूंजती आवाज़ों के लिए बदनाम हैं,
वजह तो हम ही हैं,
वो तो हम जैसों के कारण ही परेशान हैं.......................................
ना राह देखता है, ना रास्ता बताता है,
वो अपने आप में यूँ ही चलता जाता है,
तलाश रहा है वो अपने जैसा कोई,
शांत और स्वभाव से नर्म सा कोई,
मुमकिन है कि उसकी भी मुराद पूरी हो जाए,
अकेले के लिए कोई साथी मिल जाए................................................
कश्मकश से आज़ाद वो,
ना बांधता है और ना ही जकड़ता है,
एक हिसार में रखता है और यादें दे देता है,
हर तरीका पता है उसको औरों को खुश करने का,
तभी तो कभी सीधा तो कभी खुमाऔदार मोड़ दे देता है,
उसे छोड़ जाने को मन नहीं करता,
वो अपने साथ रह जाने को मजबूर भी नहीं करता,
वापस बुलाता है अदभुत द्रश्य दिखा - दिखा कर,
रह जाता है पीछे मगर पीछा नहीं छोड़ता................................................
स्वरचित
राशी शर्मा