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बच्चा बच्चा खेल खेलेंगे मीठी मीठी जानकी चोरी छुपम लोक काम छुपम यह सभा मत जानकर बच्चा बच्चा खेल खेलेंगे मीठी मीठी जानकर सुबह शाम दोपहर में होगी मस्ती बहुत ग्राम कर बच्चा बच्चा खेल खेलेंगे मीठी-मीठी जानकर
मनोहर कविता बच्चों के लिए सूरज मामा सुबह है निकले ठंडी में स्नान को चलो बच्चों हम स्नान कर लें ठंडी हवा पहचान को उसके बाद करेंगे मस्ती अच्छी धूप जान को सूरज मामा सुबह निकल ठंडी में स्नान को उसके बाद मम्मी और दादी के हाथों की मिस्टी खाएं उसके बाद दादा जी के साथ बाजार की सब मिठाई खाएं सूरज मामा सुबह निकल ठंडी में स्नान को
वह हमसे इश्क करेंगे इसमें हमारी खता क्या हम भी उनसे इश्क करें ऐसी शर्त है कहां रोज-रोज की झंझट को मिले आराम यहां वहां शांत हो जीवन मेरा और मुक्त हो इन जलो से वह हमसे इश्क करेंगे इसमें हमारी खता क्या
बैठ के हम दोस्तों ने जमाने की रुसवाई कारी हमने कुछ बुराई करी उसने कुछ बढ़ई करी रोज कहीं आना और जाना था बस यही हम दोस्तों का फसाना था
ठंडी हवाओं में धूप का आनंद क्या सुबह की चाह में दोपहर का आनंद क्या शाम की मध्य रोशनी में रात का आनंद क्या जीवन के गम में खुशी का आनंद क्या
मां ने मर्म को मर्म समझ तुमने मर्म को जख्म समझा कौन-कौन नहीं जख्म कुर्ता है समय के साथ अब क्या जाने पर भी जख्म को जख्म समझा है - Ashu_ Mishra
तुम हमको गम देकर रुसवाई करते हो आने पर केवल बेवफाई करते हो जाने पर केवल शिकवाई करती हो ओके करने पर दवाई करोगी - Ashu_ Mishra
रूठ गए तो मुस्कुराना सिखाती हो हंस दिए तो गम भुलाना सिखाती हो है तो जाना सिखाती हो ना रहे तो क्या जमाना सिखाती हो - Ashu_ Mishra
मोहब्बत को मजाक समझती हो क्या दिल को हिसाब समझती हो क्या है तो कदर कर लो जाने को गणित का हिसाब समझती हो क्या - Ashu_ Mishra
वह हमें रोशनी में ढूंढते हैं उन्हें अंधेरों का हिसाब कहां हम उन्हें उजाले में ढूंढते हैं हमें अंधेरों का हिसाब का
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