जाते-जाते एक कहानी.....
जाते-जाते एक कहानी लिख जाएँगे।
कर्तव्यों की बेल उगानी लिख जाएँगे।।
कभी समझना नहीं हवा का झोंका हमको।
अमिट याद की एक निशानी लिख जाएँगे ।।
सुख-दुख तो आते ही रहते हैं जीवन में ।
दुखिया के घर-शाम सुहानी लिख जाएँगे।।
सुख की छाँव सभी के जीवन में आएगी।
घर-घर में जब दाना-पानी लिख जाएँगे।।
कट्टरता की बात सुहाती है यदि तुमको ।
युद्ध-क्षेत्र में वीर-भवानी लिख जाएँगे।।
गर्व करो तुम मानव-कुल में जन्म लिए हो।
संस्कार की हो राजधानी लिख जाएँगे।।
देश-धर्म से ऊपर उससे बड़ा न कुछ भी ।
संकट में अपनी कुरबानी लिख जाएँगे।।
मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "