दिल के हर आरमान को छूने की चाहत है,
तेरे इश्क में खुद को खोने की चाहत है।
चाँदनी रातों में तेरी याद बसी है,
हर सांस में तेरी जान बसी है।
मोहब्बत के रंगों में बह गया हूँ मैं,
अब तुझसे जुदा होने की चाहत है।
तेरे इश्क की राहों में हर बार खो जाते हैं,
तेरे दीवाने दिल हमेशा रो जाते हैं।
मोहब्बत की राहों में बह गया हूँ मैं,
तेरे प्यार में जीने की चाहत है।
तेरी आवाज़ में बसे हैं हमारे अरमान,
तेरे इश्क की दुनिया में खोने की चाहत है।
दिल की हर धड़कन में बसा है तू ही,
तेरे प्यार के संग जीने की चाहत है।
तेरे ख्वाबों में खोये हैं हम हर रात,
तेरे इश्क में जीने की चाहत है।
मोहब्बत की राहों में चल रहा हूँ मैं,
तेरे इश्क में दास खुद को खोने की चाहत है।
-बैरागी दिलीप दास