रात तूझे बङा गुमान है न, अंधेरे का
प्रकाश को टिमटिमाते रहने, देने का
जुगनुओं को भटकाते रहने, देने का,
तुम देखना कभी मेरे आंखों में
तुम्हारे गूरुर का नाश हो जाएगा
हर और प्रकाश हीं प्रकाश हो जाएगा।
रात तूझे बङा गुमान है न....
नदियों के लहरों को शांत कर देने का
प्रकृति प्रदत्त जीवन को भय ग्रस्त कर देने का
तुम कभी मिलना रात बारह के पहर में
तुम्हारे द्वारा रचित भय को मुझसे भय हो जाएगा
नदियों में तुफान उमड़ जाएगा
प्रकृति प्रदत्त जीवन निर्भय हो जाएगा।
-Anant Dhish Aman