🌹इंतजार🌹
कब तक ख्यालों में आओगे,
अब तो सामने आ जाओ।
कितना तड़प रहे हैं हम,
अब तो ऐसे न तड़पाओ।।
तन मन ये बैचेन है,
कब तक रहूंगी मैं अकेली।
कब जाओगी अपने पिया घर,
अब तो पूछने लगी सहेली।।
मन मंदिर में तुम्हें बिठाकर,
रोज पूजती हूं पूरे दिल से।
मेरे दिल के तुम देवता हो,
कहती हूं मैं रोज तुमसे मिल के।।
यही राह देखती हूं रोज,
कब तुम मुझे लेकर जाओगे।
सारे लोगों के सामने तुम,
कब मुझे तुम अपनाओगे।।
तुम्हारे प्रेम की चाहत तो,
मेरे रग रग में समाई है।
नशा चढ़ा कुछ इस तरह से,
कि चारों तरफ बस रुसवायी हैं।।
तुम्हारे प्रेम की तपिश को,
बिन छुए ही महसूस करती हूं।
कब आओगे लेने तुम तो,
इसी सोच में जलती रहती हूं।।
किरन झा (मिश्री)
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री